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Mutual Fund & Health Insurance Services

18/03/2022
10/03/2022
08/03/2022
02/03/2022
02/03/2022
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29/11/2021
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29/04/2021
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26/04/2017

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28/08/2016

🌜शुभरात्रि💖मित्रों🌛
प्रेम

#ओशो...🎶
शांति पाने की कोशिश मत करे,अशांति को स्वीकार कर ले-आप शांत हो जायेंगे। फिर दुनिया में कोई आपको अशांत नही कर सकता। अगर मैं अशांति के लिए राज़ी हू ,कौन मुझे अशांत कर सकता है?अगर मैं गाली के लिए तैयार हू तो कौन मेरा अपमान कर सकता है?मैं गाली के लिए राज़ी नही हू इसलिए कोई मेरा अपमान कर सकता है। मैं अशांति के लिए राज़ी नही हू इसलिए कोई भी अशांत कर सकता है।

*अगर हम ठीक से मन की प्रक्रिया को समझ ले,तो मन की प्रक्रिया को समझकर जीवन बदल जाता है।*

प्रक्रिया ये है की मन हमेसा चीजों को दो में तोड़ देता है-मान-अपमान,सुख-दुःख,शांति-अशांति,संसार-मोक्ष। और कहता है एक नही चाहिए,अरुचिकर है,और एक चाहिए रुचिकर है-बस ये मन का खेल है।

*इस मन से बचने के दो उपाय है-या तो दोनों के लिए राज़ी हो जाये-मन मर जायेगा। या दोनों को छोड़ दे,मन मर जायेगा। जो आपके लिए अनुकूल पड़े वैसा कर ले-अन्यथा आपके शांत होने का कोई उपाय नही है।*

जब तक आप शांत होना चाहते है,तब तक शांत न हो सकेंगे। जब तक सुखी होना चाहते है दुःख आपका भाग्य होगा, और जब तक मोक्ष के लिए पागल है,संसार आपकी परिक्रमा होगी। दोनों के लिए राज़ी हो जाये-मांग ही छोड़ दे,-कह दे जो होता है मैं राज़ी हू'।

इसका थोडा प्रयोग करके देखे-24 घंटे,ज्यादा नही। लड़ने का प्रयोग तो आप जन्मो से कर रहे है,एक 24 घंटे तय कर ले, की आज सुबह 6 बजे से कल सुबह 6 बजे तक जो भी होगा,उसको मैं स्वीकार कर लूँगा,जहाँ भी हो विरोध,द्वन्द नही खड़ा करूंगा।

करके देखे,24 घंटे में आपकी जिंदगी में एक नई हवा का प्रवेश होगा। जैसे कोई झरोखा अचानक खुल गया,और ताज़ी हवा आपकी जिन्दगी में आनी शुरू हो गई। फिर ये 24 घंटे कभी खत्म न होंगे। एक दफा इसका अनुभव हो जाये,फिर आप इसमें गहरे उतर जाएँगे।

*कोई विधि नही है शांत होने की, शांत होना जीवन- दृष्टी है।कोई मैथड नही होता की भगवान का नाम जप लिया और शांत हो गये। अशांति को स्वीकार कर ले,दुःख को स्वीकार कर ले,मृत्यु को स्वीकार कर ले,फिर आपकी कोई मृत्यु नही है। " जिसे हम स्वीकार कर लेते है, उसके हम पार हो जाते हैं "....!!*

23/07/2016

जार्ज बर्नार्ड शॉ ने लिखा है कि ‘दुर्भाग्य के वो दिन भी एक दिन आयेंगे, जब धनपति अपनी पत्नियों के पास भी नौकरों को भेज दिया करेंगे कि जा मेरी पत्नी को चुम्बन दे आ। कहना—पति ने भेजा है; उनको जरा फुर्सत नहीं है काम में। और ये छोटे मोटे काम तो नौकर भी कर सकते हैं। इसके लिए मेरे आने की क्या जरूरत है!’ लेकिन तुम धर्म के साथ यही कर रहे हो।

तुम एक पुजारी से कहते हो कि आकर रोज हमारे घर में मंदिर की घंटी बजा जाया कर। पूजा चढ़ा जाया कर। दो फूल चढ़ा जाया कर। तीस रुपये महीने लगा दिये। वह भी दस—पच्चीस घरों में जाकर घंटी बजा आता है। उसको भी घंटी बजाने में कोई मतलब नहीं है। इससे मतलब नहीं है कि भगवान ने घंटी सुनी कि नहीं। वह जो तीस रुपये महीने देता है, उसको सुनाई पड़ जानी चाहिए, बस! जल्दी से सिर पटकता है। कुछ भी बक—बकाकर भागता है, क्योंकि उसको और दस—पच्चीस जगह जाना है। कोई एक ही भगवान है! कई मंदिरों में पूजा करनी है! जगह—जगह जाकर किसी तरह क्रियाकर्म करके भागता है।

उधार! तुम प्रार्थना उधार करवा रहे हो! तो तुम प्रेम भी उधार करवा सकते हो। आखिर प्रार्थना प्रेम ही तो है। परमात्मा से भी तुम सीधी बात नहीं करते; बीच में दलाल रखते हो। परमात्मा के भी आमने—सामने कभी नहीं बैठते! अरे, फूल चढ़ाने हैं—खुद चढ़ाओ। अगर दीप जलाने हैं—खुद जलाओ। अगर नाचना—गाना हो, तो खुद नाचो—गाओ। ये किराये के टट्टू, इनको लाकर तुम पूजा करवा रहे हो! यह पूजा झूठी है। इनको पूजा से प्रयोजन नहीं है; इनको पैसे से प्रयोजन है। तुमको इससे प्रयोजन है कि भगवान कभी होगा, कहीं मरने के बाद मिलेगा, तो कहने को रहेगा कि भई पूजा करवाते थे। तीस रुपया महीना खर्च किया था। कुछ तो खयाल रखो। आखिर उस सब का कुछ तो बदला दो! बहुत सुनते आये थे कि पुण्य का फल मिलता है, कहां है फल! अब मिल जाये।

लेकिन न तुमने पूजा की; न तुम्हारे पुजारी ने पूजा की। पुजारी को पैसे से मतलब था; तुम्हें कुछ आगे के लोभ का इंतजाम कर रहे हो। तुम आगे के लिए बीमा कर रहे हो! तुम कुशल व्यवसायी हो।

जो बोलैं तो हरिकथा, ओशो

22/07/2016

उपदेशक कुत्ता ****
खलील जिब्रान ने एक छोटी सी कहानी लिखी है वहां एक कुत्ता था। उसे देखकर कोई भी व्यक्ति उसे एक महान क्रांतिकारी कह सकता था। वह शहर भर के कुत्तों को हमेशा यही शिक्षा दिया करता था— ‘‘ केवल व्यर्थ ही भौंकते रहने के कारण ही हम लोग विकसित नहीं हो पा रहे हैं। तुम लोग अपनी ऊर्जा भौंकने में व्यर्थ बरबाद कर रहे हो।‘‘

एक डाकिया गुजरता है और अचानक एक पुलिस वाला या एक संन्यासी सामने से निकला नहीं कि कुत्ते किसी भी तरह की वर्दी के विरुद्ध हैं, किसी भी व्यक्ति के ऊपर से नीचे तक एक ही तरह के कपड़े हों, और चूंकि वे क्रांतिकारी हैं, फौरन वे भौंकना शुरू कर देते हैं।

वह नेता सभी से कहा करता था— ‘‘बंद करो भौंकना। अपनी ऊर्जा व्यर्थ नष्ट मत करो, क्योंकि यही ऊर्जा किसी उपयोगी सृजनात्मक कार्य में लगाई जा सकती है। कुत्ते पूरी दुनिया पर शासन कर सकते हैं, लेकिन तुम लोग व्यर्थ ही अकारण अपनी ऊर्जा भौंकने में नष्ट कर रहे हो। इस आदत को छोड़ना होगा। केवल यही तुम्हारा पाप और अपराध है, यही मूल पाप है।‘‘

सभी कुत्तों को यह सुनकर हमेशा यह अहसास होता था कि वह बिलकुल ठीक और तर्कपूर्ण बात कह रहा था ‘तुम लोग आखिर क्यों भौंकते चले जाते हो? और ऊर्जा भी व्यर्थ नष्ट होती है, कोई भी कुत्ता भौंक— भौंक कर थक जाता है। दूसरी ही सुबह वह फिर भौंकना शुरू कर देता है और फिर रात होने पर ही वह थकता है। आखिर इस सभी की क्या तुक है?

वे सभी अपने नेता की कही बात को समझ सकते थे, लेकिन वे यह भी जानते थे कि वे लोग बस कुत्ते भर हैं, बेचारे विवश कुत्ते। आदर्श बहुत महान था और उनका नेता वास्तव में एक ज्ञानी था, क्योंकि वह जिस बात का उपदेश दे रहा था, वह वैसा कर भी रहा था। वह कभी भी भौंकता नहीं था। तुम उसका चरित्र भली भांति देख सकते हो, उसने जिस बात का उपदेश दिया, स्वयं उसी के अनुरूप चला भी।

लेकिन धीमे— धीमे निरंतर उससे उपदेश सुनते सुनते वे लोग आखिर थक गए। एक दिन उन्होंने तय किया—वह उनके नेता का जन्मदिवस था और उन्होंने यह निर्णय लिया कि कम से कम आज की रात, अपने नेता की बात का सम्मान रखते हुए वे रात भर भौंकेगे नहीं और यही उनका नेता के लिए उपहार होगा। इसकी अपेक्षा वे किसी और बात से इतने अधिक खुश न हो सकते थे। उस रात सभी कुत्तों ने भौंकना बंद कर दिया। यह बहुत कठिन और श्रमपूर्ण था। यह ठीक उसी तरह था, जैसे तुम ध्यान कर रहे हो तो विचारों को रोकना कितना कठिन हो जाता है। उन सभी के लिए वैसी ही समस्या थी वह। उन्होंने भौंकना बंद कर दिया, जब कि वे हमेशा भौंका ही करते थे। और वे लोग कोई महान संत नहीं थे, बल्कि मामूली कुत्ते थे। लेकिन उन्होंने कठिन प्रयास किया। यह बहुत श्रमपूर्ण था। वे सभी आंखें बंद किए अपनी— अपनी जगह छिपे हुए थे। आंखें बंद कर दांत भींचे हुए वे खामोश बैठे थे, न वे कुछ देख सकते थे और न कुछ सुन सकते थे। वजह एक महान अनुशासन का पालन कर रहे थे।

उनका नेता पूरे शहर में चारों ओर घूमा। वह बहुत उलझन में पड़ गया। वह उपदेश किन्हें दे? अब शिक्षा किन्हें दे? आखिर यह हुआ क्या—पूरी तरह शांति व्यास है चारों ओर। तभी अचानक जब आधी रात गुजर चुकी थी, वह इतना अधिक उत्तेजित हो उठा, क्योंकि उसने कभी सोचा तक न था कि सभी कुत्ते उसकी बात सुनेंगे। वह भली भांति जानता था कि वे लोग कभी उसकी बात सुनेंगे ही नहीं क्योंकि कुत्तों के लिए भौंकना एक स्वाभाविक बात थी। उसकी मांग अप्राकृतिक और अस्वाभाविक थी, लेकिन कुत्तों ने भौंकना बंद कर दिया। उसकी पूरी नेतागीरी दांव पर लगी हुई थी। आखिर कल से वह करेगा क्या? क्योंकि वह केवल उपदेश और शिक्षा देना जानता था। उसकी पूरी शासन व्यवस्था दांव पर लगी हुई थी। और तब पहली बार उसने महसूस किया, क्योंकि वह निरंतर सुबह से लेकर रात तक उन्हें शिक्षा और उपदेश ही देता रहता था, इसी वजह से उसे कभी भी भौंकने की जरूरत महसूस नहीं होती थी। उसकी ऊर्जा उसी में इतनी अधिक लगी हुई थी, कि वह एक तरह का भौंकना ही था।

लेकिन उस रात कहीं भी, कोई भी गलती करता मिला ही नहीं। और उस उपदेशक कुत्ते में भौंकने की तीव्र लालसा शुरू हो गयी।

एक कुत्ता आखिर एक कुत्ता ही तो होता है। तब वह एक अंधेरी गली में गया और उसने भौंकना शुरू कर दिया। जब इसे दूसरे कुत्तों ने सुना तो सोचा कि किसी एक कुत्ते ने समझौते को तोड़ दिया है, तब उन्होंने कहा— ‘‘फिर हमीं लोग आखिर यह दुख क्यों सहे?‘‘ पूरे शहर ने ही जैसे भौंकना शुरू कर दिया। तभी उस नेता ने वापस लौटकर कहा— ‘‘अरे मूर्खों! तुम लोग भौंकना कब बंद करोगे? क्योंकि तुम लोगों के भौंकने से ही हम लोग केवल कुत्ते ही बनकर रह गए हैं, अन्यथा पूरे संसार पर हमारा अधिकार होता।‘‘
ओशो
आनंद योग–(दि बिलिव्ड)–(प्रवचन–08)

12/06/2016

Umbrella can't stop the rain, but make us to stand in rain.
Health insurance may not avoid hospitalization, but it gives a power to face that emergency.

Health Insurance provides:
- Peace of mind
- Assure financial backup in a medical emergency
- Cashless claim settlement
- Tax saving under section of 80D up to ₹55K
- Protects saving that already saved
- Life time renewal guarantee
- No TPA

As per WHO report an Indian individual spends nearly 40 - 50 % of his life span income in his last 3 yrs on medical. That indicates the critical need of health insurance. Don't ignore.

At this moment there is no alternative for MediClaim.

For more details kindly call to Nilesh Kinge on 9423447042.

12/05/2016

"आरोग्य विमा आवश्यक आहे का?"

आरोग्य चांगले असले तरीही जीवनाच्या कोणत्या-ना-कोणत्या टप्प्यावर येऊन आरोग्य काळजी यंत्रणेचा वापर करावा लागू शकतो. कधी कोणती दुर्घटना होईल किंवा कुटुंबाचा एखादा सदस्य आजारी पडेल आणि याबाबतीत एखाद्या डॉक्टरकडे जावे लागेल किंवा रुग्णालयाच्या फेऱ्या माराव्या लागतील, हे सांगता येत नाही. जेव्हा खरोखरंच त्याची आवश्यकता असते त्यावेळी आरोग्य विमा अशा वेळी आवश्यक उपचार उपलब्ध करतो.
व्यक्ती आणि त्याच्या कुटुंबाला महाग वैद्यकीय उपचारापासून आरोग्य विमा नेहमी वाचवत असतो. अनेकदा गंभीर आजार किंवा दुखापतीवरील उपचाराचा खर्च खूप असतो. हे खर्च मोठय़ा आíथक संकटामध्ये टाकू शकतात. अशावेळी वय, आरोग्य स्थिती याला अधिक महत्त्व नाही. वैद्यकीय खर्च हा एक असा विषय आहे की ज्यावर गांभीर्याने विचार करणे गरजेचे आहे तसेच त्याची योग्यरितीने हाताळणी झाली पाहिजे.
आरोग्य विमा संबंधित एक आवश्यक टिप नेहमी आपण ऐकतो. ‘आरोग्य विमा त्यावेळी करा जेव्हा तुम्हाला त्याची आवश्यकता नसेल’. याचे कारण हे आहे की, याला संभाव्यता त्यावेळी प्राप्त करु शकत नाहीत, जेव्हा याची गरज असेल.
आपला आरोग्य विमा खरेदी करण्यापूर्वी काही महत्त्वपूर्ण बाबींवर लक्ष देणे आवश्यक आहे.
आरोग्य विमा जीवनाच्या सुरुवातीलाच घ्या
जेव्हा तुम्ही तरुण किंवा तंदुरुस्त असता तेव्हा आरोग्य विमा छत्र खरेदी करणे जास्त महाग नसते. त्यावेळी विम्याचा प्रिमियम कमी असतो आणि तुम्ही या अवस्थेमध्ये प्रौढावस्थेच्या पॉलिसीपेक्षा व्यापक श्रेणीचे छत्र प्राप्त करु शकतो.
वय वाढण्याबरोबरच प्रिमियम देखील वाढतो आणि जर एखाद्या रोगाने ग्रस्त असेल तर विमा कंपनी आधीपासून असलेल्या आजारांना विमाच्या क्षेत्राच्या बाहेर करते.
बहुतेक विमा कंपन्यांच्या आरोग्य योजनांमध्ये एक ‘एंट्री एज लिमिट’ असते. यावरुन हे तथ्य दर्शविले जाते की जेव्हा वय वाढू लागते आणि खासकरुन जेव्हा निवृत्तीच्या नजीक असता तेव्हा आरोग्य विमा विकल्पांचा देखील अभाव होतो. याव्यतिरिक्त, जर पॉलिसीला ‘नो क्लेम’सह नूतनीकरण केले तर ‘क्युम्युलेटिव्ह बोनस’ मधून ‘नो क्लेम बेनिफिट’चा लाभ घेता येतो.
प्राप्तीकर लाभ प्राप्त करा; मात्र कर लाभाकरिता तो खरेदी करु नका
आरोग्य विमाकरिता भरण्यात येणारा प्रिमियम भारतीय आयकर कायदा अधिनियम कलम ८०डीच्या अंतर्गत कर सवलतीमध्ये येतो. जर तुम्ही ६५ वर्षांपेक्षा कमी वयाचे असाल तर तुम्ही आपल्यासाठी किंवा आपली पत्नी, मुले व पालकांसाठी भरल्या जाणाऱ्या आरोग्य विमा प्रिमियमवर १५,००० रुपयांपर्यंतच्या सवलतीचा दावा करु शकता.
याव्यतिरिक्त, जर पालक (आणि पालक वरिष्ठ नागरिक आहेत) करिता छत्राची निवड केली असेल तर २० हजार रुपयांपर्यंतचा अधिकतर लाभाचा दावा करता येतो.
जेव्हा एक आरोग्य विमा खरेदी करता तेव्हा कर संबंधित लाभ निर्णायक बाब नसते. तुम्ही विमा सल्लागार किंवा बँकेच्या मदतीने आवश्यक आरोग्य छत्राचे योग्यरित्या विश्लेषण केले पाहिजे.

लेखक जनरल इन्शुरन्सच्या डिजिटल वाहिनीचे वरिष्ठ उपाध्यक्ष आहेत.
गंभीर आजार किंवा दुखापतीवरील उपचाराचा खर्च खूप असतो. हे खर्च मोठय़ा आíथक संकटामध्ये टाकू शकतात. अशावेळी वय, आरोग्य स्थिती याला अधिक महत्त्व नाही. वैद्यकीय खर्च हा एक असा विषय आहे की ज्यावर गांभीर्याने विचार करणे गरजेचे आहे. आरोग्य विमा त्यावेळी करा जेव्हा तुम्हाला त्याची आवश्यकता नसेल. याचे कारण हे आहे की, याला संभाव्यता त्यावेळी प्राप्त करु शकत नाहीत, जेव्हा याची गरज असेल.

नियोक्ताद्वारे पुरविण्यात येणारा ‘ग्रुप मेडिक्लेम इन्शुरन्स’ पूर्णपणे अवलंबून राहण्याकरिता योग्य आहे का? बऱ्याच कंपन्या, संस्था एक मुलभूत आरोग्य विमा छत्र प्रदान करतात. एक व्यक्तिगत आरोग्य विमा पॉलिसी खरेदी करणे एक हुशारीने घेतलेला निर्णय आहे, कारण..
जर तुमचा नियोक्ता एका ‘ग्रुप मेडिक्लेम’च्या अंतर्गत छत्र देत असेल तर अशा पॉलिसींची विमा रक्कम अगदी कमी असते. ही रक्कम सध्याच्या काळामध्ये अपुरी असते. कारण, प्रत्येक उपचाराचा खर्च वाढतच आहे.
जर तुमचा नियोक्ता मूल्यामध्ये कपात करण्याचा निर्णय घेत असेल तर तुम्ही या कव्हरमध्ये मोठय़ा कालावधीपर्यंत येऊ शकत नाहीत.
जर अधिक चांगली नोकरी लागणे, नोकरी सोडावी लागणे आणि निवृत्तीमुळे तुम्ही कंपनी सोडली तर तुम्ही या छत्राच्या बाहेर जाता.
जास्तीत-जास्त ग्रुप मेडिक्लेम पॉलिसीजमध्ये ‘को-पे’ व ‘डिडक्टिबल्स बिल्ट इन’ची तरतूद असते आणि यामुळे विमा काढलेल्या व्यक्तीला आपल्या खिशातून भरावे लागते.
वय हे विम्यासाठी एक महत्त्वपूर्ण मापन आहे आणि त्यानुसार प्रिमियम ठरवला जातो. जसजसे विमाधारकाचे वय वाढते तसतसा प्रिमियमदेखील विस्तारत जातो. जितक्या लवकर एक ‘पर्सनल हेल्थ कव्हर’ खरेदी कराल तेवढे तुमच्यासाठी ते अधिक उत्तम.

मुख्यत्त्वेकरुन दोन प्रकारचे आरोग्य विमा छत्र असतात -
इंडिव्हिज्युअल हेल्थ प्लॅन :
हा एक सरळ हेल्थ इन्शुरन्स कव्हर ‘इंडिव्हिज्युअल हेल्थ प्लॅन’ आहे. हा एका व्यक्तीच्या विमा रकमेच्या मर्यादेपर्यंतच्या रुग्णालयात भरती होण्याच्या खर्चाचे छत्र बनतो. उदाहरण - जर तुमच्या कुटुंबामध्ये ४ सदस्य आहेत, तर तुम्ही प्रत्येकाकरिता ३ लाख रुपयांचे छत्र घेता येते. येथे तुमच्यापकी प्रत्येक ३ लाख रुपयांकरिता छत्र आहे. जर कुटुंबाच्या सर्व ४ही सदस्यांना रुग्णालयात दाखल होण्याची आवश्यकता पडत असेल तर सर्व खर्चाला ‘रिइम्बर्समेंट’ म्हणून प्राप्त करता येते. कारण सर्व ४ पॉलिसी ‘सेल्फ-गव्हìनग’ आहेत.

‘फॅमिली फ्लोटर प्लॅन’ :
हा आरोग्य विमाचा अधिक चांगला प्रकार आहे. विमा रक्कम कुटुंबातील सदस्यांमध्ये तो अंतर्भूत होतो. जसे की, ही योजना स्विकारणारा प्रत्येक सदस्य या विम्याच्या अंतर्गत येतो. ‘फॅमिली फ्लोटर प्लॅन’करिता प्रिमियम कुटुंबाच्या वेगळ्या विमा योजनेकरिता सामान्यत यापेक्षा कमी आहे. उदाहरण जर तुमच्या कुटुंबामध्ये ४ सदस्य आहेत तर तुम्ही एकूण ५ लाख रुपयांचा ‘फॅमिली फ्लोटर प्लॅन’ खरेदी करु शकता. आता कुटुंबाचा कोणताही सदस्य ५ लाख रुपयांपर्यंतचा दावा करु शकतो. जर कुटुंबातील एक सदस्य रुग्णालयातमध्ये भरती झाला आणि खर्च ३ लाख रुपयांपर्यंत येत असेल तर तो दिला जातो आणि त्यानंतर या विशिष्ट वर्षांकरिता २ लाखांपर्यंत छत्र कमी होईल. ‘फॅमिली फ्लोटर’ एका कुटुंबाकरिता तर्कसुसंगत आहे. कारण कुटुंबाचा प्रत्येक सदस्य एका योजनेच्या अंतर्गत एक मोठे छत्र प्राप्त होते. त्याच वर्षी एकापेक्षा जास्त सदस्य रुग्णालयात भरती होण्याची संभाव्यता कमी राहते.

- Nilesh

25/02/2016

6 Incomes which are Exempt from Taxes

When our earnings increase, we are extremely happy but at the same time, we know the taxation monster will eat up a part of our income. Hence, people try to reduce their tax liability through various means. Listed below are some effective tax free incomes which you should be aware of:

1. Interest earned on savings bank account:
Section 80TTA introduced in 2013 states that interest income up to Rs.10,000 received from savings bank account cannot be taxed. For example, if your annual interest is 30,000 then 10,000 will not attract taxes and only the remaining 20,000 will be included in your taxable earning. This limit is not for one bank, it applies for the interest earned from all your accounts in different banks.

2. Money obtained through inheritance:
According to Section 10 (2) of the IT Act, any wealth inherited by members of Hindu Undivided Family (HUF) through will is exempted from taxes. If you invest that amount, the interest produced on that investment will be eligible for taxation.

3. Amount received by way of Voluntary Retirement Scheme (VRS):
When an individual opts for VRS, then money obtained up to a maximum of 5 lakhs is not entitled for taxation. However, this only applies for employees in public sector firms or an organisation founded under the State or Central Government.

4. Profits made through equity mutual funds or stocks:
Also termed as long-term capital gains, investors who receive any profit from instruments such as shares or equity mutual funds after holding them for at least a year need not pay taxes on the revenue earned. So if you have bought equity worth 2,00,000 and after 2 years, the value of the shares is 2,50,000. If you decide to sell the shares, the profit of 50,000 will be completely tax-free.

5. Scholarships for education purpose:
Grants or scholarship given to eligible students in order to meet education expenses is free from taxation liability as per Section 10 (16) of the IT Act. There is no limit on the maximum amount; the entire scholarship sum is in the hands of the student.

6. Interest earned on PF or PPF:
Individuals who receive interest or any other kind of payment from their Provident Fund (PF) or Public Provident Fund (PPF) is completely exempt from taxes

10/02/2016

गॅस गिझर चुकवतोय काळजाचा ठोका!

औरंगाबाद - जळालेल्या गॅसमधून कार्बन मोनाक्‍साईड हा विषारी वायू तयार होतो, हे कदाचित तुम्हाला माहिती नसेल. पण, असा वायू तयार होत असताना हवाबंद स्नानगृहामध्ये आंघोळ करीत असाल, तर ते तुमच्या जीवावर बेतू शकते. शहरात एकाच महिन्यात अशा तीन घटना घडल्या आहेत.

असा प्रसंग बेतला होता शहरातील सिडको एन-दोन भागात राहणाऱ्या प्रज्वल दाणेकर या तेरावर्षीय मुलावर. मंगळवारी (ता. 30) प्रज्वल शहरातीलच मावशीकडे गेला होता. मावशीच्या घरी स्नानगृहात गॅस गिझर होते. तो आंघोळीला गेला. बराच वेळ झाला तरी प्रज्वल बाहेर येईना, म्हणून मावशी पाहायला गेल्या. दार वाजवले तरी प्रज्वलचा काहीच प्रतिसाद नव्हता. मावशीने दार तोडून आत पाहिले तर प्रज्वल बेशुद्ध पडलेला दिसला. त्यांनी तत्काळ कृत्रिम श्‍वासोच्छ्वास देण्याचा प्रयत्न करीत प्रज्वलला एका खासगी दवाखान्यात नेले. घटनाक्रम सांगितल्यानंतर डॉक्‍टरांना सर्व प्रकार लक्षात आला. याच महिन्यात अशाच प्रकारच्या दोन घटना घडलेल्या असल्याने डॉक्‍टरांना योग्य निदान करता आले. गिझरच्या जळालेल्या गॅसमधून तयार झालेल्या कार्बन मोनाक्‍साईड या विषारी वायूमुळेच प्रज्वल बेशुद्ध झाल्याचे मेंदूविकारतज्ज्ञ डॉ. मकरंद कांजाळकर यांनी सांगितले.

गॅसची बचत होण्यासाठी अनेकजण स्नानगृहात गॅस गिझर बसवत आहेत. स्वयंपाकाच्या गॅसवर पाणी तापवून ते स्नानगृहात घेऊन जाणे, हे "हाय कल्चर‘ला शोभत नसल्याचा अनेकांचा समज आहे. त्यामुळे पैसा खर्चून श्रीमंतांसह मध्यमवर्गीयही पाणी तापविण्यासाठी गॅस गिझरचा वापर करतात. पण गिझर वापरताना गॅस सिलिंडर बाथरूमच्या बाहेर असावे लागते. तुरळक नागरिक हा नियम पाळतात. फ्लॅटमध्ये राहणाऱ्या नागरिकांचे स्नानगृह तर अगोदरच कोंदट असते. त्यामुळे फ्लॅटमधल्या गिझरचे सिलिंडर हे स्नानगृहातच बसविलेले असते.

""जळालेल्या गॅसमधून अदृश्‍य धूर बाहेर पडतो. हा अदृश्‍य धूर म्हणजेच कार्बन मोनाक्‍साईड. कार्बन मोनाक्‍साईड शरीरात गेला तर हिमोग्लोबीनपर्यंत ऑक्‍सिजनचा पुरवठा होत नाही. परिणामी तात्काळ चक्कर येणे, भोवळ येऊन पडणे असे प्रकार घडतात. आंघोळीला गेलेली व्यक्ती चक्कर येऊन पडल्याचे जर लवकर लक्षात आले नाही, तर मृत्यू होऊ शकतो. त्यामुळे शक्‍यतो गॅस गिझर वापरणे टाळावे Or Use only Solar water heater for hot water purpose .

Timeline photos 10/02/2016

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09/02/2016

मेडिक्लेम....एक आवश्यक गरज ..!

आजकालच्या धकाधकीच्या जीवनात आपण सर्वच जण अगदी धावत आहोत पैश्यासाठी, करीअरसाठी, टार्गेट साठी, दैनंदिन गरजा पूर्ण करण्यासाठी...
पण या सार्या व्यापात आपण स्वतःला च विसरून गेलो अाहोत. कुटुंबातील व्यक्तिंसोबत वेळ देणे, नियमीत पायी फिरायला जाणे, मैदानी खेळ खेळणे, पोहणे, सायकल चालविणे, निसर्गाच्या सान्निध्यात राहणे हे अगदी दुरापास्त झाल्यासारखे आहे. सतत कामाचा ताण, व्यायामाचा अभाव, सकस अाहाराचा अभाव, तेल व फास्ट फुड चा अति वापर, वाढत चाललेली व्यसनाधीनतेची फॅशन यावर आपल्या शरीरावर जो अन्याय होतोय तो आपण सोयीस्कर विसरतो . परिणामी आजकाल अगदी पस्तीशीच्या लोकांनाही ह्रदयविकार, अतिरक्तदाब, मधुमेह, दमा, स्थौल्य आदी समस्या उद्भवत आहेत. गतिमान आयुष्यात अधिक गतीने व पुरेशी सावधानता व वाहतूकीचे नियम न पाळता वाहने चालविणे वा दुसर्याच्या चुकीमुळे अपघात हेही नित्याचेच झालेले आहेत. अश्या एकंदरीत प्रतिकूलतेचा विचार केल्यास आपल्याला केव्हा ना केव्हा तरी हाॅस्पीटलची पायरी चढावीच लागणार ही जाणीव प्रत्येकाला असली पाहिजे.
आपण अनेकविध भौतिक सुखं व चैनीच्या वस्तूंसाठी पैसे खर्च करतो. व्यसने पूर्ण करण्यासाठी काही लोक नित्यनेमाने पैसे खर्च करत असतात. पण जेव्हा स्वतःच्याच आयुष्याचा प्रश्न उभा राहतो, स्वतःच्या शरीरास एखाद्या गंभीर आजाराने ग्रासले जाते, तेव्हा चांगल्या चांगल्यांचीही पायाखालील जमीन सरकते. अचानक उद्भवणाऱ्या या परिस्थितीचा एक महत्त्वाचा भाग असतो तो म्हणजे उपचारासाठी लागणारा पैसा. आपल्या भारतात सार्वजनिक सरकारी आरोग्य यंत्रणेची सेवा म्हणजे न बोललेलंच बरं! प्रत्येकच जण अश्यावेळी खाजगी हाॅस्पीटलकडे धाव घेतो. स्वच्छ, स्वतंत्र रूम्स, तत्पर सेवा, अत्याधुनिक उपचार प्रणालीचा वापर यासाठी सर्वसामान्य मनुष्य देखील खाजगी हाॅस्पीटल्सलाच पसंती देतो. आजार सर्वसामान्य असेल तर तो आवाक्यात असतो. पण जेव्हा मोठा अपघात, ह्रदयविकाराचा झटका, कॅन्सर इ. स्वरूपाचा किचकट जीवघेणा आजार असेल तर अश्यावेळी लागणाऱ्या तपासण्या, महागड्या औषधी, मेजर आॅपरेशन्स किंवा इन्व्हेजीव प्रोसीजर्स या सर्वाना सामोरे जावे लागतेच लागते. या सर्वासाठी पैसा हा लागतोच. आपण आजतागायत कमविलेली जमापुंजी खर्च करण्याची पाळी येते. ती देखील नसली तर नातेवाईक -मित्र किंवा समाजसेवी संस्थांकडे मदतीचा हात पसरावा लागतो. काहींना यात अनेकदा चांगल्या-वाईटाचा अनुभव येतो. आणि जर घरातील कर्ता पुरूषच आजारी असेल तर अजुनच फसगत होते. कुणी मदत करुन करणारही किती? प्रत्येकालाच सांसारिक गरजा असतात. अश्या प्रसंगातून जो पार पडला असेल तोच याचे गांभीर्य जाणतो.
या सगळ्या गोष्टीवर खबरदारी म्हणून स्वतःचा व परीवारातील सदस्यांचा मेडिक्लेम करुन तो नियमितपणे रिनीव्ह करुन घेणे हे अधिक सुरक्षितता देणारे ठरते. आपल्या कुटुंबातील व्यक्तीला कुणास डायबेटिस वा उच्च रक्तदाब असल्यास पुढील शक्यता गृहित धरून मेडिक्लेम हा केलाच गेला पाहिजे.
आपल्या भारतात युरोपातील देशांप्रमाणे मेडिक्लेमचे कम्पल्शन नाही. तितकी जाणीव जागृतीही नाही. यावर विपरीत म्हणजे लोक विमा म्हणजे इन्व्हेस्टमेंट म्हणून करतात. अापल्या स्वतःच्या आरोग्याबाबत जागरूकता असल्यामुळेच पाश्च्यात्य लोक आरोग्यदृष्ट्या सुखी आहे. सरकारी तिजोरीवरही त्याचा भार न येता डेव्हलपमेंट साठी त्याचा वापर करता येतो. इन्व्हेस्टमेंटचे अधिक रिटर्नस् देणारे अनेकही चांगले मार्ग आहेत. मनुष्य मेल्यानंतर पैसा मिळालाच तर तो कुटुंबाच्या उपयोगी येईलच पण गंभीर आजारात अथवा अपघातात जायबंदी झाल्यास काय? सुदृढ शरीर व उत्तम आरोग्य ही देखील आपली एक प्रकारची इन्व्हेस्टमेंट आहेच. यासाठी मेडिक्लेमचा पुरस्कार करणे केव्हाही चांगले. शिवाय 80 D अंतर्गत त्यास करसंरक्षण आहेच. आपण आपल्या कारचा, मोटारसायकलीचा विमा करतो शिवाय समोरच्यास काही झाल्यास थर्डपार्टीचीही तरतुद करतो, पण आपल्या स्वतःला व कुटुंबातील सदस्यांच्या आरोग्य सेवेबद्दल इतकी अनास्था का बाळगतो?
क्रिटिकल सेंटर मध्ये आजपर्यंत रुग्ण व नातेवाईकांचे अनुभव बघितले, त्यातुन हे सांगावेसे वाटले. आपल्या कुणावरही असा बिकट प्रसंग उद्भवू नये पण उद्भवलाच तर निश्चित दिलासा म्हणून मेडिक्लेम हा चांगला उपाय आहे असे वाटते.

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